तुम


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तुम,
जैसे सुख के पलों में
छलका हुआ आँसू।
तुम,
जैसे चोट पर
फूँककर माँ ने किया हो
कोई जादू।
तुम,
जैसे घने अंधकार के बाद
खिलता हुआ
प्रकाश सूरज का।
तुम,
जैसे टूटे-बिखरे मन को
फिर से जोड़ता
तार मोहब्बत का।
तुम
जैसे अस्तित्व मेरा,
बिन तुम्हारे नहीं कहीं
कोई चिन्ह मेरा।

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