सफर... जो खत्म ना हुआ


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डूबते हुए सूरज की लालिमा से आसमान का दामन सिंदूरी हो चला था।
पहाड़ी के एक सिरे पर खामोश बैठे हुए अंकित और सुमि एक-दूसरे के साथ को जी रहे थे।
तभी चुप्पी तोड़ते हुए सुमि ने कहा- इतनी मुश्किलों से गुजरकर आख़िरकार कल शादी है हमारी।
'हाँ, दुनिया वाले जिसे मोहब्बत की मंजिल कहते है, अंततः कल उसे पा लेंगे हम।
लेकिन तुम्हारी आँखों में ये उदासी की छाया कैसी सुमि? आज तो जश्न मनाने का दिन है।'
'कुछ नहीं बस यूँ ही कुछ सोच रही थी।'
'जरूर कुछ उल्टा-पुल्टा ही सोच रही होगी। कितनी बार कहा है अगर सोचना ही है तो मुझे सोचा करो, लेकिन तुम तो बस तुम हो, सारी दुनिया से महान, मेरी मोहब्बत से अंजान।'
'उफ्फ मैं यहां गम्भीर हूँ और तुम्हें मज़ाक सूझ रहा है।'
अच्छा बाबा नहीं करता मज़ाक। अब बताओ किस बात ने परेशान कर रखा है तुम्हें- सुमि की आँखों में देखते हुए अंकित ने कहा।
एक ठंडी आह भरते हुए सुमि बोली- सब कहते है शादी के बाद प्यार खत्म हो जाता है। लोग एक-दूसरे से ऊबकर दूर भागने लगते है। क्या हम भी दूर हो जाएंगे?
'क्या तुम्हें नहीं लगता हमें सुनी-सुनाई बातों की जगह अपनी मोहब्बत पर भरोसा रखना चाहिए'
'हाँ लगता है पर...'
पर-वर कुछ नहीं, चलो इस सोच को, और इससे उपजे संशय को यहीं दफन करो।
रस्मों के लिए सब हमारा इंतज़ार कर रहे होंगे- सुमि का हाथ थामकर उसे उठाते हुए अंकित ने कहा।
दिन, महीने और सालों की देहरी लांघते हुए वक्त बीतता गया।
आज सुमि और अंकित की शादी की पचासवीं सालगिरह है।
एक-दूसरे का हाथ थामे दो बूढ़े आज फिर पहाड़ी पर उसी जगह पर बैठे है जहाँ शादी की एक रात पहले बैठे थे।
डूबता हुआ सूरज अपने रंगों से आसमान के खाली कैनवस को सजा रहा था।
'इसी जगह पर कभी तुम संशय से भरी बैठी थी की हम दूर ना हो जाएं। याद है सुमि?'
कांपती हुयी आवाज़ में सुमि ने जवाब दिया- सब याद है।
'देखो हम लाठी की जगह एक-दूसरे का हाथ थामे ज़िन्दगी के सफर में कितने आराम से चल रहे है।
अब कहो संशय दूर हुआ या अब भी बचा है- अंकित ने हमेशा की तरह सुमि की आँखों में झांकते हुए पूछा।'
'नहीं अब कोई संशय नहीं, बस मोहब्बत है और उसे मजबूत करता हमारा यकीन है।'
'तो फिर चलो अब उठो। सब जश्न के लिए हमारा इंतज़ार कर रहे होंगे।'
एक-दूसरे का हाथ थामे धीमे कदमों से दो छायाएं एकाकार होती हुयी चल पड़ी थी मोहब्बत की एक नयी मंजिल की ओर जहां अब किसी संशय की कोई जगह नहीं थी।
चेहरे पर पड़ी झुर्रियों के बीच बूढ़ी आँखों से झलकता सदाबहार प्रेम उनके खूबसूरत सफर की गवाही दे रहा था।

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