नादान दोस्ती
बात तब की है जब मैं 8 साल का था ।मेरा एक दोस्त था दीपक ।उम्र में मुझसे कुछ साल बड़ा। में उसके साथ गाँव की नदी में ,मछलियाँ मारने जाया करता था। वह काँटों से मछलियाँ मारता ,और मेरा काम मछलियों को थैली में रखना होता था। मुझे बड़ी ही उत्सुकता रहती थी की कब मछली काँटों में फसेंगी ,बचपना था न इसीलिए।फिर कभी कभी वह मुझे भी मछलियाँ मारने का मौका देता ।मैं बहुत ख़ुश होता जब मछली काँटों में फसती और वह ख़ुशी शब्दों में बयाँ करना मुश्किल है।
फिर एक दिन यह बात मेरी दादी को पता चली ,वह बहुत ही गुस्सा हो गयी ।वह बोली आज के बाद उस लड़के के साथ तुम कभी नहीं जाओगे तुम्हे मेरी कसम। मैं क्या करता ,पूछा पर दादी क्यों दादी बोली-वह लड़का एक चोर है और चोरों का संग तुमको नहीं करना है। वह तुम्हे फँसा देगा तुम बिगड़ जा रहे हो, और भी बहुत कुछ।फिर मैंने अपनी दादी की बात मान ली प्यार जो करता था उनसे ।
फिर उस लड़के को मैं कभी नहीं मिला । कुछ दिन पहले जब सुना की वह आज भी मुंबई की एक जेल में है तो याद आ गया मुझे मेरा बचपना।दोस्त तो वह कमीना था चोर था but मुझे उसके साथ मछलियाँ मारना पसंद था,
बहुत ही बोरिंग लगे आप सबको मेरी ये स्टोरी पर क्या करूँ यही तो है मेरी 'नादान दोस्ती'
धन्यवाद।