ख्व़ाब


Ashish raj The writer.



काश एक रोज़ तेरा दुपट्टा मेरी घड़ी से टकराता
तेरे आंचल का  कोना मेरी घड़ी से बंध जाता

होती इतनी हड़बड़ाहट की वो सुलझने से ज्यादा उलझ जाता
काश एक रोज़ तेरा दुपट्टा मेरी घड़ी से टकराता

लगे होते हम दोनों इस उलझन को सुलझाने में 
करते कोशिश बार बार इस गुत्थी से निकल पाने में

आखिरकार! आखिरकार हमारी एक कोशिश जो काम आती
मेरी दी हुई घड़ी तुझे हर वक़्त मेरी याद दिलाती

काश एक रोज़ तेरा दुपट्टा मेरी घड़ी से टकराता

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