बाल मजदूरी


Leeza Puri



मैं भी एक बचपन हूं ठीक तुम्हारे बच्चों की ही तरह, मैं भी एक नटखटपन हूं मेरे भी नन्हे हाथ है, नाज़ुक कमजोर कंधे है, पर उन कंधो पर पहाड़ सा बोझ क्यूं है, गरीब हैं मेरे मां बाप इसमें मेरा दोष क्यूं है मेरी गरीबी, मेरी बीमारी है मेरे मां बाप से विरासत में मिली मुझे उनके कर्ज चुकाने की उधारी है, देखो ना तभी तो मेरे हाथ में ये काम है..!! छोटी सी उम्र में दुख बेहिसाब है स्कूल जाने की उम्र है मेरी, पर हाथ में ना कोई किताब है.. किस्मत बदल सकती हूं यक़ीनन अपनी जो मिल जाए कलम का जादुई चिराग है मैं अकेली इस गुलामी की पिंजरे की कैदी नहीं और भी नन्हे छोटे साथी परिंदे है मेरे जो मेरी ही तरह कैद है, बेफिक्र आज़ाद नहीं कोई अभी तुम्हारे घर में कैद है, अपने नाज़ुक हाथों से खाना बना रहा है , और ठीक से काम ना करने पर तुम्हारी मार खा रहा है कोई बच्चा शायद तुम्हारे बच्चे के बोझ को उठा रहा है हमारी उमर कम है तो क्या, हम किसी काम में भी तुमसे कम नहीं, दाम चुकाए तुमने हमारे, हमें शायद कोई ग़म नहीं.. खिलौना समझकर तुमने हमें जी भर कर नचा लिया बीमार होकर जब अधमरे हो गए हम, तो वापिस हमारे आकाओं के पास भिजवा दिया!! मर भी जाएं तो क्या किसी को गम है?? एक गरीब कम हो गया ये भी क्या कम है..!!

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