Farq...


Shazia



फ़र्क नहीं पड़ता
ना बातों का
ना मुलाकातों का 
एक नाम ही काफ़ी है
जो दिख जाए कहीं 
जो आपके होने की 
आहट सा बनकर 
एक पैग़ाम दे जाता है 
आपके हर पल साथ होने का
वो एहसास, बस ...
मैं सुकून के साथ 
आपके हाथों की छांव में
मुस्कुरा कर मंज़िल की ओर चल देती हूं ...!! 

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