फ़र्क नहीं पड़ता ना बातों का ना मुलाकातों का एक नाम ही काफ़ी है जो दिख जाए कहीं जो आपके होने की आहट सा बनकर एक पैग़ाम दे जाता है आपके हर पल साथ होने का वो एहसास, बस ... मैं सुकून के साथ आपके हाथों की छांव में मुस्कुरा कर मंज़िल की ओर चल देती हूं ...!!