सर्वश्रेष्ठ जोड़ी


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शहर के जाने-माने क्लब के स्थापना दिवस पर सभी सदस्यों के लिए 'सर्वश्रेष्ठ जोड़ी' प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था।
सभी प्रतिभागी उत्साहित थे और खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे।
एक-एक करके हर चरण में अन्य जोड़ियों के मुकाबले कमजोर जोड़ियां प्रतियोगिता से बाहर होती जा रही थी।
अंततः दो जोड़ियां चुनी जा चुकी थी जिनके बीच खिताबी मुकाबला होने वाला था।
पहली जोड़ी थी रिया और रितेश की, दूसरी जोड़ी थी नमन और निकिता की।
सभी चरणों में अभी तक दोनों जोड़ियां बराबरी पर रही थी।
और अब अंतिम चरण था सवाल-जवाब का।
चार सवालों में बराबरी पर रहने के बाद अब निर्णय पांचवे और अंतिम सवाल से होने वाला था।
मुकाबला अत्यंत कठिन हो चूका था अतः निर्णायक मंडल में बैठे सभी सदस्यों ने आपस में कुछ सलाह-मशवरा किया और कहा- ये अंतिम सवाल जो की निर्णायक साबित होने वाला है उसका जवाब सिर्फ रितेश और नमन देंगे।
क्या आप दोनों तैयार है?
रितेश और नमन ने एक साथ जवाब दिया- जी सर, हम तैयार है।
तो सवाल ये है कि आपकी पत्नी क्या करती है- सबसे वरिष्ठ सदस्य ने रितेश से मुखातिब होते हुए कहा।
रितेश ने जवाब दिया- वो कुछ नहीं करती। साधारण गृहिणी है।
अब नमन की बारी थी।
नमन ने निकिता का हाथ थामते हुए कहा- मेरी पत्नी बस इतना करती है कि वो मेरी ज़िन्दगी, मेरे घर, मेरे परिवार को मजबूत आधार देती है।
आधार जिसके बिना किसी भी इमारत का टिके रहना संभव नहीं।
अगर वो घर में रहकर घर और परिवार की जिम्मेदारियों का एक सिरा मजबूती से थामकर ना रखती तो मैं दफ्तर में दूसरे सिरे को मजबूत नहीं कर सकता था।
निकिता सिर्फ एक साधारण गृहिणी नहीं 'गृहशोभा' है।
नमन की तरफ देखते हुए निकिता की आँखों से ख़ुशी के आँसू बह चले थे।
उधर निर्णायक मंडल के सदस्यों के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी।
अंतिम निर्णय आ चुका था।
चयनकर्ताओं के साथ क्लब में मौजूद सभी दर्शक खड़े होकर नमन और निकिता के सम्मान में तालियां बजा रहे थे।
एक-दूसरे के प्रति प्रेम, समर्पण और सम्मान की भावना की बदौलत आज 'सर्वश्रेष्ठ जोड़ी' की जगमगाती ट्रॉफी नमन और निकिता के हाथों की शोभा बढ़ा रही थी।

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