बस यूँ ही


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तवे पर गोल घूमती
रोटी के साथ,
मन घूम आता है
बचपन की गलियों में।
लगाते हुए छौंका सब्जी का
तैरने लगते है
सामने नज़रों के
कुछ मीठे से सपने,
जो होंगे सच
आने वाले कल में।
भर जाती है जब
रसोई सोंधी खुशबु से,
महक उठता है
तब दिल का भी एक कोना।
परोसते हुए थाली में
खाने के साथ प्रेम,
होता है महसूस
अपना सार्थक होना।

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