लोगो की भीड़ जुड़ी है दरबार में,
श्रद्धालू खड़े हैं कतार में,
जो दर्शन हो जाए तेरा,
मन सुंदर हो जाए मेरा।
नाम जब भी लूं मैं तेरा,
घृणां,कलेश जाता हैं मेरा,
सुख,सूकुन मिलता हैं मन में,
जन्ऩत हैं तेरे दर में।
सब राह तके अपनी बारी की,
कब कृपा हो तेरी प्यारी सी,
दुख,तकलीफ़ सब मिट जाए,
जब तू दर्शन दे जाए।
बरसों बाद आई हैं मेरी बारी,
अब कृपा कर दो अपनी सारी,
मेरे अपने सब खुश हो जाए,
उनके जीवन में खुशियां भर जाए।
तू जगत मे सबसे न्यारा,
लोगों का तू है दुलारा,
तू कहें सबका मालिक एक हैं,
पर वह एक ' साईं ' तू हैं।