विचार


Priya rajoriya



सृष्टि एक खुले विचारों की लड़की थी ,बचपन से ही घर से दूर पढ़ी थी।पहले वो अपने मामाजी के घर रहती थी ,फिर होस्टल में पढ़ी।उसकी घर की स्तथि ठीक नहीं थी उसकी पड़े का ज़्यादातर खर्च उसके मामाजी उठाते थे।बाद में उन्होने भी सहयोग करना बंद कर दिया।पर उसकी माँ बहुत हिम्मतवाली थी वो हमेशा यही चाहती थी की स्रष्टि अपने सपनो को पूरा करे ।पर उनके रिश्तेदारों को ये बात हमेशा खटकती थी की श्रष्टी की माँ अपनी बेटियों की मार्जिन के बिना उनकी ज़िन्दगी के कोई भी फैसल नहीं लेती।ये बातें श्रष्टी को बहुत परेशां करती पर उसकी माँ हमेसा उससे कहती दूसरे क्या सोच रहे हैं उससे तुझे कोई मतलब नहीं होना चाहिए मेने कभी तुझसे कुछ कहा।माँ की बात सुन श्रष्टी के आँखों से ख़ुशी के आंसू बह गए।

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