गौरैया


An Uneven Guy



बचपन तेरी चहक में रौनक रहा। वो तेरा फुदक-फुदक हमें चलने का हुनर सिखलाना।। वो छज्जों पर हम जो तुझको देखा करते थे। बड़ी सफ़ाई से चुगाना तेरा बच्चों को अपने दाना।। प्रेम किस "गौरैया" का नाम है कोई सीखे तुझसे। तुम दंपत्तियों का यूँ साथ नोक-झोंक दिखलाना।। किसी हूर सी बचा करती थी तुम धूप से!! वो चट से चोंच में दबा भतवा तेरा, फुर्र कर भग जाना।। तुझे पता है? एक बालक देख हँसता था तुझे। वो दादी का तुझसे ही डरा हमसे खाना खिलवाना।। काश! अब भी तू आती लेकर भाग जाने थरियवा रे!? तुझ बिन शिथिलता है अब, दाँत जैसे भूल चुके हों चबाना।। हम जाते हैं जब भी एक नज़र, आँगन को निहार लेते हैं? तुझे ढूँढा करते हैं हर कोने-कोने में, पाने को हम बचपन-सुहाना।। अंजुमन से पहले भी तू दूर ही रहा करती थी उनके। रुख़शत है शायद तू, कारण क्योंकि हाल अब ना है पुराना।। तू चली गयी शायद सदा ख़ातिर। वो जैसे हो जाते हैं बाद खिदमत के बूढ़े "फलाना"।। अब भी तेरे चाहने वाले हैं बहुत। जान ले लेना तू भले, हो सहूलियत जो तो आ जाना।। 【】विश्व गौरैया दिवस पर गौरैया और ऐसे सुंदर जीवों के रक्षा का प्रण अवस्य लें।【】 【】वो बचपन है उसे मर मत जाने देना【】 अंजुमन - महफ़िल खिदमत - नौकरी रुख्शत - नाराज

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